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12.3.12

सरकार को वित्तीय बोझ झेलने जैसा आम आदेश नहीं दे सकती अदालतें

Posted: 12 Mar 2012 03:12 AM PDT
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अदालतों का इरादा चाहे कितना अच्छा ही क्यों न हो, वे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे आम आदेश नहीं दे सकतीं जिसे राज्यों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ता हो और उनके लिए परेशानी खड़ी होती हो। शीर्ष अदालत ने यह व्यवस्था केरल सरकार की अपील पर दी।
केरल सरकार ने इस अपील में हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे बसों के लिए बड़ी तादाद में ‘बस बे’ बनाने और पूरे राज्य में सड़कों के किनारे पार्किंग जोन बनाने की खातिर भूमि अधिग्रहण करने को कहा गया था ताकि हादसे कम हो सकें। जस्टिस आर.एम. लोढ़ा और जस्टिस एच. एल. गोखले की बेंच ने एक फैसले में कहा कि ऐसे आदेश इस तरह नहीं दिए जाने चाहिए।
हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2008 को अपने आदेश में कहा था कि जरूरी होने पर सड़क के किनारे भूमि अधिग्रहीत कर गाडि़यों के लिए पार्किंग स्थल एक समय सीमा के भीतर तैयार किया जाना चाहिए, हालांकि हम इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं करते। इस आदेश को ही केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने यह आदेश पी. सी. कृष्णकुमार नामक एक शख्स के परिवार के हर्जाना संबंधी दावे के निपटारे के दौरान दिया था। कृष्णकुमार केरल में एक बाइक पर अपने साथी के पीछे बैठ कर जा रहा था। कोयंबटूर-पलक्कड़ नैशनल हाइवे पर यह बाइक सड़क के किनारे गलत तरीके से और बिना इंडीकेटर के, पार्क किए गए एक ट्रक से टकरा गई जिससे कृष्णकुमार की मृत्यु हो गई थी।-अदालत १२.०३.१२

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