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1.2.12

जनहित याचिकाओं में पूर्व न्यायाधीशों के विचार नत्थी किए जाने की प्रवृत्ति पर आपत्ति

सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिकाओं में अपने दावे को पुख्ता बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के विचारों को नत्थी किए जाने की बढ़ रही प्रवृत्ति पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। न्यायालय की एक पीठ ने कहा है, “यदि हम इस न्यायालय का सम्मान नहीं कर सकते, तो फिर इसका सम्मान कौन करेगा?” न्यायालय ने सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह की जन्मतिथि को लेकर पैदा हुए विवाद पर ग्रेनेडियर्स एसोसिएशन की एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व न्यायाधीशों द्वारा इस विषय पर दिए गए विचारों को नत्थी किए जाने पर आपत्ति जाहिर की थी।

प्रधान न्यायाधीश एस.एच.कपाड़िया ने याचिकाकर्ता ग्रेनेडियर्स एसोसिएशन द्वारा चार पूर्व प्रधान न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा, न्यायमूर्ति जी.बी. पटनायक, न्यायमूर्ति वी.एन. खरे और न्यायमूर्ति आर.सी. लाहोटी) के विचारों को अपनी याचिका में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए नत्थी करने पर सख्त आपत्ति की।

न्यायमूर्ति कपाड़िया, पूर्व न्यायाधीशों के विचारों को नत्थी किए जाने को लेकर (जबकि इन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया था कि उनके विचारों को किसी न्यायालयीन सुनवाई में न इस्तेमाल किया जाए) इतना नाराज हुए कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह भविष्य में ऐसी कोई याचिका स्वीकार न करे, जिसमें इस तरह के दस्तावेज नत्थी हों। रजिस्ट्री से कहा गया कि वह तबतक कोई याचिका स्वीकार न करे, जबतक कि ऐसे दस्तावेज हटा न लिए जाएं। न्यायमूर्ति कपाड़िया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री सभी मामलों में इस दिशानिर्देश का पालन करेगी।

एक अन्य मामले में न्यायालय ने पान मसाला और तम्बाकू के एक विनिर्माता के खिलाफ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर एक कंटेप्ट याचिका की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर की। न्यायमूर्ति गांगुली ने उस समय अपनी नाराजगी जाहिर की, जब उन्होंने पाया कि एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश का विचार इस मामले में एक लम्बित याचिका में नत्थी था।

एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश के लेटर हेड पर दिए गए विचार में कहा गया था कि जिस पैकेट में आधा ग्राम तम्बाकू या चार ग्राम पान मसाला से कम हो और वह एक बार के इस्तेमाल के लिए हो तो उसे ही एक पुड़िया (सैशे) कहेंगे। लेकिन कई बार इस्तेमाल किए जाने वाले पैकेट को सैशे के बदले पाउच कहेंगे।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश का यह विचार धरमपाल सत्य पाल समूह द्वारा कंटेप्ट याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में नत्थी किया गया था, जो रजनीगंधा पान मसाला और तुलसी तम्बाकू बनाता है। न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर ने कहा कि विचार में कहा जाना चाहिए था इसे किसी न्यायालय में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जो कि इस मामले में नहीं किया गया।-स्त्रोत : अदालतPosted: 31 Jan 2012 02:00 AM PST

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