
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि श्रीमद्भगवत गीता धर्म विशेष का ग्रंथ नहीं वरन जीवन दर्शन है, जिससे नागरिकता का प्रशिक्षण मिलता है। कोर्ट ने कहा कि गीता से न्यायिक नियंत्रण व सामाजिक सौहार्द का नैतिक संदेश भी हासिल होता है। गीता भारतीय दर्शन की एक आवश्यक पुस्तक है, जिसका नैतिक आचरण पर विशेष जोर है। इसके साथ ही कोर्ट ने मध्य प्रदेश कैथोलिक विशप परिषद द्वारा दायर जनहित याचिका सारहीन पाकर खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश कैथोलिक विशप परिषद ने राज्य सरकार द्वारा आगामी शैक्षणिक सत्र (वर्ष 2012-13) से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में गीता सार को शामिल किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। परिषद की याचिका को जस्टिस अजित सिंह और जस्टिस संजय यादव की खंडपीठ ने सारहीन पाते हुए 27 जनवरी को खारिज कर दिया। परिषद के प्रवक्ता ने याचिका में कहा था कि सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद 28 (1) का उल्लंघन है।
विशप परिषद के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि इस अनुच्छेद के तहत राज्य सरकार इस तरह धर्म विशेष के धर्म ग्रंथ को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का दबाव नहीं बना सकती। यदि ऐसा किया जा रहा है तो फिर क्यों न अन्य धर्मो की पुस्तकों के सार या अंश भी शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाएं? इस पर कोर्ट आवेदक के अधिवक्ता को गीता का अध्ययन करके बहस हेतु उपस्थित होने के लिए कहा था। उन्हें इसके लिए समय भी दिया था। अधिवक्ता ने बड़ी साफगोई से स्वीकार किया कि उन्होंने कोर्ट के निर्देश के पालन में गीता का अध्ययन किया, लेकिन उनकी समझ में कुछ भी नहीं आया। युगलपीठ ने उक्त जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही आदेश पारित करते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 28(1) नैतिक शिक्षा, सांप्रदायिक सिद्धांतों और सामाजिक एकता बनाए रखने वाले किसी प्रशिक्षण पर पाबंदी नहीं लगाता, जो नागरिकता व राज्य के विकास का जरूरी हिस्सा हैं। हाई कोर्ट ने अरूणा रॉय विरुद्ध केंद्र सरकार के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी उल्लेख किया। उसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 28 (1) में धार्मिक शिक्षा का उपयोग एक सीमित अर्थ में किया गया है। इसका मतलब है कि शैक्षणिक संस्थाओं में पूजा, आराधना, धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार के धन का उपयोग नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा। अदालत के इस फैसले के बाद राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं में गीता सार पढ़ाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।-स्त्रोत : अदालत, Posted: 31 Jan 2012 02:18 AM PST
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