सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी को दिए गए अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि किसी मंत्री, लोकसेवक, सरकारी मुलाजिम पर मुकद्दमा चले या न चले इसकी इजाजत के लिए समय सीमा तय होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अधिकतम चार महीने में ये फैसला हो जाना चाहिए कि जिस लोकसेवक पर आरोप लग रहे हैं उस पर केस चले या न चले.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार तीन महीने में मुकद्दमा चलने के बारे में ये तय कर ले, और एक महीने का वक्त अटॉर्नी जनरल से सलाह के लिए पर्याप्त है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि समयसीमा को लेकर फैसला संसद करे, जरूरत हो तो कानून में बदलाव हो.
इस मामले में जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने ए राजा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. स्वामी ने ये याचिका तब दायर की थी जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने के स्वामी के अनुरोध पर लंबे समय तक कोई जवाब नहीं दिया था.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसके जवाब में एक हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि इस मामले में सीबीआई की जांच चल रही है और प्रधानमंत्री को सलाह दी गई कि सीबीआई के सबूत मिलने के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है।
हालांकि बाद में कैबिनेट से ए राजा के इस्तीफे के बाद सुब्रमण्यम स्वामी को उनके खिलाफ इजाजत लेने की जरूरत नहीं थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बिंदु पर सुनवाई की कि किसी मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत ना देने के लिए प्रधानमंत्री कितना समय ले सकते हैं.
24 नवंबर 2010 को जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।-Adalat, Posted: 31 Jan 2012 12:56 AM PST
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