जिला न्यायालय रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. कामिनी लॉ ने 80 वर्षीय महिला के साथ हुए डिजिटल रेप के मामले में दोषी को सजा सुनाते हुए टिप्पणी की है कि दुष्कर्म की परिभाषा को बदलने का समय आ गया है। अदालत दुष्कर्म को एक सीमा तक ही परिभाषित कर सकती है। किसी भी अपराध को परिभाषित करने और उसके लिए कानून बनाने का काम विधायिका का है। विश्व के कई देशों में दुष्कर्म को विस्तृत तरीके से परिभाषित किया गया है और अब समय आ गया है कि देश में भी इस कानून को विस्तृत तरीके से परिभाषित किया जा सके। इससे छोटी बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं के प्रति हो रहे शारीरिक शोषण पर न्याय दिलाया जा सकेगा।
अदालत ने कहा कि दुष्कर्म को और विस्तृत तरीके से परिभाषित करने और कानून में बदलाव करने की जरूरत है। अदालत नेडिजिटल रेप, मेल रेप, ओरल रेप सहित बलात्कार के कुछ अन्य तरीकों को दुष्कर्म के अंतर्गत लाने की वकालत की है। अदालत ने कहा कि अन्य देशों मसलन स्कॉटलैंड, आस्ट्रेलिया, विक्टोरिया, आयरलैंड और अमेरिका में दुष्कर्म को नए व विस्तृत तरीके से परिभाषित किया गया है। लिहाजा, अब समय आ गया है कि देश में इस अपराध की परिभाषा में बदलाव लाया जाए।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली महिला आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी अदालत के इस सुझाव पर हामी भरी। दिल्ली महिला आयोग ने अदालत के समक्ष कहा कि कोई कारण नहीं है कि दुष्कर्म और विस्तृत तरीके से परिभाषित न किया जाए। अदालत ने मामले में आदेश की प्रति दिल्ली सरकार और दिल्ली महिला आयोग को भेजी है और मामले में उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
मामले में पीड़ित महिला 80 वर्ष की हैं इसलिए अदालत ने महिला को शीघ्र वृद्धा पेंशन देने के निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा कि उपायुक्त के आदेश के बाद भी सरकार के लालफीताशाही रवैये की वजह से पीड़ित को वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही है। ऐसे मामले में सरकार का इस प्रकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
डिजिटल बलात्कार के दोषी युवक प्रहलाद (19) को अदालत ने अपहरण, कुकर्म और जान से मारने की कोशिश का दोषी पाते हुए दस वर्ष कैद की सजा सुनाई है। दोषी को बतौर जुर्माना 17 हजार रुपये देने के आदेश दिए गए हैं। जुर्माने की रकम में से 10 हजार पीड़ित मिलेंगे। साथ ही, दिल्ली सरकार को भी पीड़ित को 50 हजार रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं।
इस मामले के मुताबिक, पीड़ित को उसके परिजनों ने घर से निकाल दिया था। महिला त्रि-नगर इलाके के एक पार्क में बनी छतरी में रह रही थी। आसपास के लोग उसे खाना खिला देते थे। 20 मई-2011 की रात आरोपी युवक खींचकर महिला को साथ ले गया। उससे न सिर्फ जोर-जबरदस्ती की गई, बल्कि चोट भी पहुंचाई। दूसरे दिन अचेत हालत में महिला पार्क में मिली। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में पुलिस ने इलाके के छह युवकों को पकड़ कर सामने पेश किया तो महिला ने आरोपी की पहचान की थी।
पीड़िता के निजी अंगों में उंगली प्रविष्ट करने को डिजिटल रेप कहा जाता है।
Source : ‘डिज़िटल रेप’ जैसे मामलों में बलात्कार की परिभाषा बदलने का समय, Adalat, Posted: 07 Feb 2012 12:11 AM PST
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