कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने संग्रामपुर शराब कांड में मृतकों के परिजनों को दिये जानेवाले सरकारी मुआवजे पर स्थगनादेश लगा दिया है. मुआवजे के खिलाफ दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल व न्यायाधीश संबुद्ध चक्रवर्ती की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया.
गौरतलब है कि गत वर्ष दिसंबर महीने में दक्षिण 24 परगना के संग्रामपुर में विषैली देसी शराब पीने से 172 लोगों की मौत हो गयी थी. राज्य सरकार की ओर से सभी मृतकों के परिजन को दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गयी थी. मुआवजे की घोषणा के खिलाफ चित्त पांडा नामक वकील की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी थी. चित्त पांडा का कहना है कि सीधे नगद मुआवजा देने से एक गलत संदेश जायेगा कि शराब पीने से पैसा मिलता है.
इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए उन्होंने याचिका दायर की थी कि नगद मुआवजे के बदले इसे किसी और प्रकार से दिया जाये, मसलन पीड़ितों के परिवार के लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था या फिर उनका घर बनाया जाये, आदि हो सकता है. हाइकोर्ट ने मुआवजा देने पर आठ सप्ताह के लिए स्थगनादेश लगा दिया है. डीआइजी सीआइडी को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा देकर जांच के संबंध में जानकारी देने को कहा है. आबकारी विभाग के सचिव को भी चार सप्ताह के भीतर हलफनामा देकर यह बताने के लिए कहा है कि इस मामले में विभाग के किसी कर्मचारी की लापरवाही हुई थी या नहीं. स्त्रोत : प्रभात खबर
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