नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम व्यवस्था दी है कि किसी आरोपी के खिलाफ मामले में अगर दोष सिद्ध होने की संभावना नहीं है तो उसके खिलाफ जारी आपराधिक प्रक्रिया खारिज की जा सकती है।
न्यायमूर्ति सी जोसफ और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट को इस तरह के आपराधिक कार्यवाही के मामलों को रद करने का अधिकार है। क्योंकि ऐसे मामलों में निचली अदालतों में कार्यवाही एक व्यर्थ की कवायद होगी। लेकिन शीर्ष न्यायालय ने हाई कोर्ट को इस मामले में सचेत भी किया। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल बहुत सावधानी से करना होगा। शीर्ष न्यायालय को यह देखना होगा कि आपराधिक मामले से संबंधित आरोपी के खिलाफ किसी भी स्थिति में सजा होने की होने की संभावना नहीं है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अगर निचली अदालतों में यह कार्यवाही जारी रहती है तो वह एक व्यर्थ की कवायद साबित होगी। पीठ ने कहा कि इस मामले में बहुत कुछ हाई कोर्ट के न्यायाधीश के ऊपर निर्भर करता है।
शीर्ष न्यायालय की पीठ ने कुछ लोगों के खिलाफ एक महिला द्वारा दायर दुर्व्यवहार के मामले को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी। उक्त महिला ने संबंधित मामले में आरोपियों के साथ समझौता करने के बाद उनके खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। Source : Jagran, 17.11.11
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