नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय संस्थानों और बैंकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वाहन लोन चुकाने में असमर्थ रहे व्यक्ति के वाहन को किसी भी कीमत पर सीज नहीं किया जा सकता है और न ही जबरदस्ती उससे छीना जा सकता है, लेकिन बैंक संबंधित व्यक्ति पर न्यूनतम राशि का जुर्माना लगा सकते हैं।
न्यायाधीश अल्तमस कबीर, सी जोसेफ और एसएस निज्जर की खंडपीठ ने कहा कि किराए व खरीद समझौते और कानून के दायरे में रहकर ही कर्ज की वसूली की जा सकती है। इसमें किसी भी प्रकार की जोर-जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। अपने लिखित फैसले में न्यायाधीश कबीर ने कहा कि लोन की अवधि के पूरे होने और पूरी रकम चुकाने के बाद वित्तीय संस्थान वाहन की मालिकी को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं।
चेतावनी भी दी
इस बारे में भारतीय रिजर्व बैक और अन्य संस्थानों द्वारा जारी दिशा निर्देश भी ऎसा हवाला देते हैं। अदालत ने दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर फाइनेंसर व वित्तीय संस्थानों को कड़ी कार्रवाई की भी चेतावनी दी है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय का यह फैसला कोलकाता हाईकोर्ट के अगस्त 2009 में दिए गए उस फैसले के ठीक विपरीत है जिसमें हाईकोर्ट न्यायाधीश पार्थ सखा दत्ता ने लोन न चुकाने पर वित्तीय संस्थानों द्वारा वाहन सीज करने को सही ठहराया था। Source : Patrika dot com, 17.11.11
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