दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली में मिलनेवाले दूध में कोई मिलावट नहीं है। सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि पैकेट बंद दूध 100 प्रतिशत तय मानकों को पूरा करता है जबकि खुला दूध भी अधिकांशत: ठीक है, नाममात्र में शिकायत पाई गई है। अदालत ने अब केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का समय प्रदान किया है।

खाद्य अपमिश्रण विभाग ने एक जनवरी 2009 से चार अगस्त 2011 तक कुल 446 नमूने लिए गए। इनमें से 379 सैंपल सही पाए गए और दूध तय मानक के अनुसार पाया गया। 67 नमूने पूरी तरह से ठीक नहीं थे और दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। सरकार ने कहा दूध के किसी भी नमूने में ग्लूकोज, स्किम्ड दूध पाउडर, डिटर्जेंट, वसा, यूरिया इत्यादि की मिलावट नहीं पाई गई। ऐसा भी कोई तत्व नहीं मिला जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
सरकार ने माना कि जो नमूने ठीक नहीं पाए गए, उनमें भी मात्र अशुद्ध पानी की मिलावट मिली है। दूध की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए 11 जनवरी को पैकेट बंद दूध सप्लाई करने वाले गोपालजी, मदर डेयरी, डीएमएस, पारस, परम इत्यादि की बैठक बुलाई गई। सभी ने गुणवत्ता बनाए रखने का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। अदालत ने पूछा है कि मिलावटी दूध पर रोकथाम लगाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सीकरी व न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलो की खंडपीठ ने समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि यह काफी गंभीर मामला है कि राजधानी में सप्लाई होने वाले दूध में से 70 प्रतिशत दूध मिलावटी होता है। अदालत ने कहा था कि इससे आम लोगों विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है।
दिल्ली हाई कोर्ट
खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के खाद्य अपमिश्रण विभाग और खाद्य सुरक्षा मानक अथारिटी आफ इंडिया को भी नोटिस जारी कर 25 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसी के तहत दिल्ली सरकार ने कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश की।-Adalat, दिल्ली में मिलता है शुद्ध दूध, नाममात्र में शिकायत, Posted: 30 Jan 2012 02:16 AM PST
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