नई दिल्ली। तलाक के बाद किसी हिंदू महिला को जबरन उसकी ससुराल से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। इसके लिए कानून के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होगा। यह अहम फैसला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐेसा कोई प्रावधान नहीं है कि तलाक के बाद महिला को अपने आप ही घर से बाहर निकाल दिया जाए।
जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एसडी मुखोपाध्याय ने अपने फैसले में कहा कि यद्यपि तलाक के बाद किसी महिला के पास अपने पूर्व पति के घर में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं रह जाता है, फिर भी उसे जबरन नहीं निकाला जा सकता है। शीर्ष अदालत ने यह फैसला रंजीत कौर नामक महिला की ओर से दायर अपील पर सुनाया। रंजीत कौर ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री के आधार पर रंजीत कौर को उसके पति मेजर हरमोहिंदर सिंह के घर से निकाले जाने के फैसले को बरकरार रखा था। रंजीत कौर और उसके पति मेजर हरमोहिंदर सिंह मोहाली स्थित एसएसए नगर के एक विवादित मकान में रहते थे। उनकी शादी 1978 में हुई थी। पति ने क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की। चार अक्तूबर 2001 को यह अर्जी मंजूर हो गई।-Amar Ujala, Story Update : Tuesday, November 22, 2011 3:03 AM
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