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16.11.11

अवैध रूप से संचालित प्रयोगशालाओं की दो माह में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा!

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि चपरासी को टेक्निशियनस के पद पर नियुक्त कर उससे पैथोलॉजी का काम कराना पूरी तरह से धोखा देने के बराबर है और केवल नियमों के पालन के लिए ऎसा करना गलत है।

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने अवैध रूप से संचालित पैथोलॉजी लैब्स के मामले में सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार को प्रदेशभर की प्रयोगशालाओं की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुशील हरकोली एवं जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने इसके लिए सरकार को दो माह की मोहलत दी है। मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी 2012 को होगी। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने 2005 को जनहित याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश भर की प्रयोगशालाओं में अयोग्य पैथोलॉजिस्ट और टेक्निशियनस काम कर रहे हैं।

नियमानुसार ऎसी प्रयोगशालाओं को अवैध घोषित कर इनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सोमवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश दिए कि प्रयोगशालाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या, पैथोलॉजिस्ट, टेक्निशियनस एवं अन्य पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों की योग्यता और प्रयोगशालाओं का टर्न ओवर को भी जांच में शामिल करें। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि चपरासी को टेक्निशियनस के पद पर नियुक्त कर उससे पैथोलॉजी का काम कराना पूरी तरह से धोखा देने के बराबर है और केवल नियमों के पालन के लिए ऎसा करना गलत है। इसलिए पैथोलॉजिस्ट और टेक्निशियनस की सही योग्यता जानने के लिए प्रयोगशालाओं में कार्यरत अन्य कर्मचारियों की योग्यता की जांच करना भी जरूरी है। 

याचिकाकर्ता डॉ. नाजपाण्डे ने स्वयं पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि मप्र सह चिकित्सा परिषद अधिनियम 2000 के अनुसार पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं में मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री या डिप्लामा धारी होना चाहिए, साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण तथ्य को नहीं दर्शाया है। कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2010 में जबलपुर में नौ प्रयोगशालाओं को बंद कर दिया गया था, लेकिन दो दिन बाद ही वे फिर से संचालित होने लगीं। इसी तरह एक याचिका पर कोर्ट ने 2005 को पनागर की मारूति लैब को बंद करने के आदेश दिए थे, लेकिन वह आज भी संचालित है। राज्य सरकार ने सात मार्च 2010 को कटनी की सभी प्रयोगशालाओं को बंद करने के नोटिस जारी किए थे, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह भी बताया गया कि 2005 में जारी राज्य सरकार की रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रदेश में 1075 लैब की जांच में 814 अवैध पाई गईं। इनमें से केवल 316 को बंद किया गया है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पैथोलॉजी लैब्स की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। स्त्रोत : पत्रिका डोट कॉम, १४.११.११ (पैथोलॉजी लैब्स पर सख्ती)

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