सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेष संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए गलत तरीके से प्रवेश लेने के बावजूद केरल के चार छात्रों को एमबीबीएस कोर्स पूरा करने की अनुमति दे दी है। ये चारों छात्र एमबीबीएस में प्रवेश के लिए अनिवार्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में पास नहीं हुए थे।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सी. जोसेफ और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने गलत तरीके से प्रवेश लेने के बावजूद निजी मेडिकल कॉलेज के इन छात्रों को कोर्स पूरा करने की अनुमति दे दी, क्योंकि ये अपनी साढ़े चार साल की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। खंडपीठ ने इस मामले में विशेष मामला माना है।
पीठ ने कहा कि उसने सारी बातों पर गौर करने के बाद यह फैसला सुनाया है, क्योंकि अब इन छात्रों का प्रवेश रद्द करना उचित नहीं है। गौरतलब है कि दीपा थॉमस, अनु रूबीना अंसार, अंजना बाबू और अभय बाबू ने वर्ष 2007-08 में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया था। हालांकि उक्त छात्र भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से तय मानदंडों पर खरे नहीं उतरे थे.
यह एक ऎसा मामला है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और छात्रों को एमबीबीएस का पाठ्यक्रम पूरा करने की इजाजत दी।-Adalat, Posted: 02 Feb 2012 02:30 AM PST
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